राव शेखाजी व महाराजा गंगासिंह जी को जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि **************** विजयादशमी पर्व आज दिन, जन्मे थे दो वीर सुजाना! क्षत्रिय वंश के कुल गौरव थे, गर्व कर रहा राजपूताना !! कच्छप वंश आमेर भूप, उदयकरण सुत बालाजी! उनके सुत थे मोकलजी, जिनके घर थी संतान नहीं !! गोसेवा करते…
Continue ReadingCategory: कविता
धरती मां रो दर्द
(शब्दार्थ:- ब्यौहार= व्यवहार, कुरळा रयी= चीख रही, खोटा=बुरे काम, किरसा= किसान, अपघात= आत्महत्या, माइत= मां बाप, काची कलियां= अबोध बच्चियां) * धर्म धरा पर घट रयो बढ्यो पाप ब्यौहार ! धरती मां कुरळा रयी अब नहीं सह्यो जा भार !! बाबा बण खोटा करै रोज मचावै हंच, भोळी जनता ठग…
Continue Readingबेटियां
मालिक का दिया हुआ, है वरदान बेटियां ! क्यों सह रही हैं फिर, भी अपमान बेटियां !! बताये कोई बेटों से कहां हैं कम, फिर भी ! छटपटाती साबित होने, को इंसान बेटियां !! गर्भ में आते ही भ्रूण, लिंग-जांच हो गई ! हुई डॉक्टर के चाकू से, लहुलुहान बेटियां…
Continue Readingआदमी-आदमी
लड़ रहा, झगड़ रहा, पकड़ रहा, जकड़ रहा ! बिन बात अकड़ कर रहा, आदमी से आदमी !! मार रहा, काट रहा, फटकार डांट रहा ! आपस मे बांट रहा, आदमी को आदमी !! लूट रहा, कूट रहा, तोड़ रहा, टूट रहा ! रोज कर शूट रहा, आदमी को आदमी…
Continue Readingएक चंदा नीलगगन में
एक चांद नीलगगन में, इक चांद मेरे आंगन में ! धवल चांदनी मेरे चांद की, छिटक रही जीवन मे !! इक फूल खिला मधुवन में, इक फूल मेरे जीवन में ! भीनी खुशबू मेरे फूल की, महक रही तन-मन मे !! इक कोयल कूके वन में, इक मेरे आंगन में…
Continue Readingगणतंत्र दिवस
बधाई गणतंत्र दिवस, भारत भूमि महान अड़सठ साल दुनिया में, खूब बढ़ा सम्मान खूब बढ़ा सम्मान, बज रहा अपना डंका होंगे हम सिरमौर, नहीं है कोई शंका इतना करें विकास कि, दुनिया करे बड़ाई गणतंत्र दिवस घनश्याम, की पुनः बधाई (26 जनवरी 2018)
Continue Readingरानी पद्मिनी – हिन्दी
पतिव्रता थी पद्मिनी, देवी दुर्गा रूप। वर पाया वीरांगना, रावल रतनसिंह भूप॥ खिलजी ने ख्याति सुनी, रीझा पद्मिनी रुप। घेरा गढ़ चित्तौड़ को, गर्ज उठे रजपूत॥ “दर्पण में छवि देख लूं” खिलजी का संदेश। “घेरा तोडूं दुर्ग का, जाऊं अपने देश॥” दर्पण देखी पद्मिनी, तन छाई मुर्छान। छल से भूप…
Continue Readingरानी पद्मिनी – राजस्थानी
पतिव्रता ही पदमणी, देवी दुर्गा रूप। बर पायो बीरांगना, रावळ रतनसी भूप॥ खिलजी ख्याति सुण लई, रीझयो पदमण रुप। कड़ो कोट रै नाखियो, गढ़ चित्तौड़ा चोकूंट॥ सन्देसै सरतां लिखी, दरपण देओ दिखाय। निरखूं राणी रुप नै, लश्कर लेऊं उठाय॥ दर्पण देखी पदमणी, तन छाई मुर्छान। छळ सूं भूप बुलावियो, कैद…
Continue Readingजिंदगी
मालिक ने हमको दिया, उपहार जिंदगी ! जी लो खुशी के पल हैं, ये चार जिंदगी !! गंवा ना देना गफलत, में पल हैं कीमती ! फिर से न मिलेगी ये, बार-बार जिंदगी !! . गर्भ में मां के तो थी, अंधेरा कुआं सी ! बाहर आया तो लगी, उजीयार…
Continue Readingकुंडलियां
गणेश वंदना “”””””””’’””””’” वक्रतुण्ड महाकाय त्वम, कोटिक सूर्य समान ! निर्विध्नं मम काज करो, हे गणेश भगवान !! हे गणेश भगवान, लम्बोदर एक़दन्ता ! मूषक के असवार, अहंतासुर के हन्ता !! नमित श्याम कर जोड़, गणपति विनायक, गजमुँड ! कृपा करो गणराज, हे धुम्रकेतु वक्रतुण्ड !! ✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई…
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