चंगोई गढ़ का संक्षिप्त इतिहास

ठिकाना- चंगोई (तारासिंघोत राजवी)

वीर बाँकुरे राजपूतों की कर्मभूमि राजस्थान की सिरमौर रियासत बीकानेर में स्थित चंगोई ठिकाना तारासिंघोत राजवियों की जागीर रही है।  इस जागीर में 17 गांव शामिल रहे हैं चंगोई ठिकाना को बीकानेर रियासत की तरफ से इकोलड़ी ताजीम और बांह पसाव का सम्मान मिला हुआ था।

महाराजा तारासिंह जी
Maharaja Tara Singh Ji

राव बीकाजी की आठवीं पीढ़ी में अनूपसिंह जी हुए, जो की सन 1667 में बीकानेर के राजा हुए। अनूपसिंह जी के तीन पुत्र हुए – स्वरुपसिंह जी, सुजानसिंह जी व आनंद सिंह जी। अनूपसिंह जी के पुत्र सुजानसिंह जी सन 1709 में बीकानेर के राजा हुए।

महाराजा सुजानसिंह जी ने अपने भाई आनंदसिंह जी को सन 1715 में रिणी का ठिकाना जागीर में दिया। आनंदसिंह जी के चार पुत्र हुए – अमरसिंह जी, गूदड़सिंह जी, तारासिंह जी व गजसिंह जी। इन चारों के नाम पर राजवियों की चार एल है।

बीकानेर के राजा सुजानसिंह जी की मृत्यु के बाद राजा बने उनके पुत्र जोरावरसिंह जी की निःसंतान मृत्यु हो जाने पर, आनंदसिंह जी के छोटे पुत्र गजसिंह जी बीकानेर के राजा हुए।

महाराजा गजसिंह के राजा बनने के कुछ समय बाद तारासिंह जी का स्वर्गवास हो गया। उनकी रानी पनेकँवर जी उनके साथ सती हुए। तारानगर गढ स्थित रावले में सती जी के मंदिर में उनकी पूजा होती है।

 

चंगोई की ताजीम
Jageer Patta Rajaji Fateh Singh Ji

महाराजा गजसिंह जी ने तारासिंह जी के एकमात्र पुत्र भवानीसिंह जी को सन 1787 में चंगोई का ठिकाना (17 गांव सहित) जागीर में दिया। भवानीसिंह जी के पांच पुत्रो में से जेष्ठ पुत्र फतेहसिंह जी को सम्वत 1859 में महाराज सूरतसिंह जी द्वारा चंगोई का पट्टा दिया गया।

भवानीसिंह जी के पांच पुत्रों में से जेष्ठ पुत्र व टिकाई पट्टेदार फतेहसिंह जी के चंगोई व चारो अन्य पुत्रो यथा मूणसिंह जी के मितासर, शेरसिंह जी के खरतवास, मदनसिंह जी के बीघराण व अजीतसिंह जी के भालेरी के गांव हिस्से में आये।

बाद में फतेहसिंह जी के वंशज चंगोई , मूणसिंह जी के मितासर-मिखाला, शेरसिंह जी के खरतवास, मदनसिंह जी के बीघराण व अजीतसिंह जी के गाटा में रहे। वर्तमान में भी अधिकांश इन्ही गांवों में निवास करते हैं, जबकि कुछ लोग जयपुर, बीकानेर, राजगढ़, तारानगर आदि स्थानों पर भी रहते हैं। अजीतसिंह जी के वंशज अब बीकानेर व लूणकरणसर में निवास करते हैं।

भवानीसिंह जी के बाद उनके वंशज (क्रमशः) फ़तेहसिंह जी, पहाड़सिंह जी एवं कानसिंह जी चंगोई ठिकाना के मालिक हुए।

कानसिंह जी के बाद उनके दत्तक पुत्र गोविन्दसिंह जी व उनके बाद गोविन्दसिंह जी के दत्तक पुत्र बृजलालसिंह जी को दिनांक 24 मई 1924 को बीकानेर राज्य की तरफ से चंगोई ठिकाना का पट्टा दिया गया।

Jageer Patta Rajaji Brijlal Singh Ji

सन 1950 में बीकानेर राज्य के भारतीय संघ में शामिल होने व उसके बाद जागीरदारी प्रथा की समाप्ति तक बृजलालसिंह जी चंगोई ठिकाना के जागीरदार रहे ।

वंशक्रम

1. राजा जयचंद राठौड़ (कन्नौज)
2. बरदाई सेन जी
3. सेतरामजी
4. राव सीहाजी (पाली)
5. आस्थानजी (खेड़)
6. धुहड़ जी
7. रायपाल जी
8. कान्हपालजी
9. जालणसी जी
10. छाडा जी
11. टीडा जी
12. सलखा जी
13. वीरमजी
14. राव चुंडाजी (मण्डोर)
15. रणमलजी
16. राव जोधाजी (जोधपुर)
17. राव बीकाजी (बीकानेर)
18. लूणकरण जी
19. जैतसी जी
20. कल्याण मल जी
21. राजा रायसिंह जी
22. सूरसिंह जी
23. कर्णसिंह जी
24. महाराजा अनूपसिंह जी
25. आनंदसिंह जी (रिणी- तारानगर)
26. तारासिहजी
27. भवानीसिंह जी (चंगोई)
28. फतेहसिंह जी
29. पहाड़सिंह जी
30. कानसिंह जी
31. गोविंदसिंह जी
32. बृजलालसिंह जी
33. घनश्यामसिंह

बीकानेर राज्य

(संकलन- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई)
“पंद्रहसौ पेंतालवे, सुद बैशाख सुमेर !
थावर बीज थरपियो, बीको बीकानेर !!”

काव्य खण्ड

ब्रज देशा, चन्दन वना, मेरु पहाडा ‘मोड़’ !
गरुड़ खगां, लंका गढां, राजकुलां राठौड़ !!

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