“”””””””’”””(अनुप्रास अलंकार) रणबंका रजपूत, ज्यान गमाता जुद्ध मैं ! पण उण रा ही पूत, मरै मोत मद पीव नै !! रणबंका रजपूत, ठकराई ठरकै करी ! पत्त गमावै पूत, पी ठर्रो ठेकै पड्या !! रणबंका रजपूत, मरता कुळ हित कारनै ! पण बां रा ही पूत, आपस मैं लड़-2 मरै…
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म्हे तो गांव का रैवण हाळा
म्हे तो गांव का रैवण हाळा हां (By घनश्यामसिंह चंगोई ) म्हे तो गांव का रैवण हाळा हां, थारो सहर को सिस्टम नी जाणा। म्हारी रीत पुराणी देख्योेड़ी, थारा नुंवा कस्टम नी जाणा॥ म्हे तो गांव का रैवण हाळा हां, थारो सहर को सिस्टम नी जाणा॥ कूवां-कुंड रो पाणी पियो,…
Continue Readingश्रद्धांजलि
राव शेखाजी व महाराजा गंगासिंह जी को जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि **************** विजयादशमी पर्व आज दिन, जन्मे थे दो वीर सुजाना! क्षत्रिय वंश के कुल गौरव थे, गर्व कर रहा राजपूताना !! कच्छप वंश आमेर भूप, उदयकरण सुत बालाजी! उनके सुत थे मोकलजी, जिनके घर थी संतान नहीं !! गोसेवा करते…
Continue Readingधरती मां रो दर्द
(शब्दार्थ:- ब्यौहार= व्यवहार, कुरळा रयी= चीख रही, खोटा=बुरे काम, किरसा= किसान, अपघात= आत्महत्या, माइत= मां बाप, काची कलियां= अबोध बच्चियां) * धर्म धरा पर घट रयो बढ्यो पाप ब्यौहार ! धरती मां कुरळा रयी अब नहीं सह्यो जा भार !! बाबा बण खोटा करै रोज मचावै हंच, भोळी जनता ठग…
Continue Readingरानी पद्मिनी – राजस्थानी
पतिव्रता ही पदमणी, देवी दुर्गा रूप। बर पायो बीरांगना, रावळ रतनसी भूप॥ खिलजी ख्याति सुण लई, रीझयो पदमण रुप। कड़ो कोट रै नाखियो, गढ़ चित्तौड़ा चोकूंट॥ सन्देसै सरतां लिखी, दरपण देओ दिखाय। निरखूं राणी रुप नै, लश्कर लेऊं उठाय॥ दर्पण देखी पदमणी, तन छाई मुर्छान। छळ सूं भूप बुलावियो, कैद…
Continue Readingपैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी
पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी, बदळ गई जिंदगाणी सारी, रयी नीं बात पुराणी। बदळ गई जिंदगाणी सारी, रयी नीं बात पुराणी॥ पैली हाळी कोई बात बाकी नीं रयी, च्यार बजे उठ झोवंती बै ‘चाकी’ नीं रयी। आठ सेर पीसती बै काकी नीं रयी, डांगरा गी ‘फाटक’ कठैई…
Continue Readingराजाजी बृजलालसिंह जी
तीसवीं पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ! (स्वर्गवास- सावण सुदी 7, संवत 2044) . * * * * * * गांव चंगोई घणों पुराणों, पण गया पुराणा लोग। नित उठ बां नै नमन करां, बै सगळा आदरजोग॥ बैठ दरवाजै सामनै, हो जेठ चाहे आसोज। आरामकुर्सी-मूढ़ेै ऊपर, हुक्को पीता रोज॥ चोड़ो माथो,…
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