राव शेखाजी व महाराजा गंगासिंह जी को जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि **************** विजयादशमी पर्व आज दिन, जन्मे थे दो वीर सुजाना! क्षत्रिय वंश के कुल गौरव थे, गर्व कर रहा राजपूताना !! कच्छप वंश आमेर भूप, उदयकरण सुत बालाजी! उनके सुत थे मोकलजी, जिनके घर थी संतान नहीं !! गोसेवा करते…
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जिंदगी अटल है मौत भी अटल है
जिंदगी अटल है मौत भी अटल है जो जिंदगी अटल है, तो मौत भी अटल है ! सबके दिलमें जल रही, वो जोत भी अटल है !! राष्ट्रवाद का निनाद, कविताओं के साथ ! गूंजेगा युगों – युगों, जो गीत वो अटल है ! बार-बार का प्रयास, मिटती ना कभी…
Continue Readingक्षत्रिय धर्म
क्षत्रिय धर्म (By- घनश्यामसिंह चंगोई) क्षत्रिय को धर्म सिखाते हो, तूने क्षात्र-धर्म ना जाना है! हर एक धर्म निभाया जब, क्षत्रिय ने मन मे ठाना है !! बन राम निभाई मर्यादा, केशव बन कर्म सिखाया था! बलि बनके वामन भिक्षु को, अपना सर्वस्व लुटाया था !! गो रक्षा हित, पाबू…
Continue Readingअभिनंदन_हे_अभिनंदन
🙏अभिनंदन_हे_अभिनंदन 🙏 ”””””’’’’’’’”””’’’’’’’’’’’’’’””””””‘ (By-Ghanshyam Singh Changoi) अभिनंदन हे अभिनंदन, हम करें आपका अभिनंदन !! भारत के माथे के हो मुकुट,तुम इस माटी के हो चंदन! अभिनंदन हे अभिनंदन, हम करें आपका अभिनंदन !! जिस माता ने जाया तुमको,वोभी हिन्द की ‘शोभा’ हैं! मानवता के हित मे उसने, अपने जीवन को सौंपा…
Continue Readingनारी तू जगजननी है
नारी तू जगजननी है “”’’’’’’’’’’’’’’””’’’”””””””’””‘ सुता भार्या भगिनी है, नारी तू नर की जननी है! हर रूप तेरा वंदनीय है, नारी तू जगजननी है !! सती है, सावित्री, सीता है, गंगा, गायत्री, गीता है ! दुर्गा है, काली, अम्बा है, उर्वशी, मेनका, रंभा है! सरस्वती बन देती विद्यादान,मीरा बन करती…
Continue Readingबंदे बेशरम : वन्दे मातरम्
बंदे बेशरम : वन्दे मातरम् (By- घनश्यामसिंह राजवी) भारत देश महान, करे यहां बड़ी-2 सब बात जी ! अंगुली उठाये औरों पर, करे बातें आदर्शवाद की !! बन्दे हैं बेशरम ! वन्दे मातरम् !! चोर यहां के नेता सब, दल अलग-2 बस नाम के ! इक – दूजे को चोर…
Continue Readingद्विअक्षरी छन्द
द्विअक्षरी छन्द कनक का कन नीका, ना कन नीका कनक का ! कनक की नोक नीकी, कानन नीका कनक का ! कान में कनक नीका, कूक नीकी किंकिनी ! कंकन कुनकाना नीका, नैन नीके कंक के ! कीकान के कान नीके, न नाक नीकी कंक की ! कोकी की कूक…
Continue Readingदामोदरजी घर गिगो जाम्यो*
दामोदरजी घर गिगो जाम्यो दामोदरजी घर गीगो जायो, साबत थाळी फोड़ी! मांजी दूजां घर ठाम मांज-2, हुगी बापड़ी खोड़ी! बापूजी कप धोय – धोय नै, इस्कुल पढण मेल्यो! पण लालो तो भायला संग, गिल्ली डंडों खेल्यो! दसमीं गा पेपर आया सामीं,स्कूल छोड छिटकाई! बापूजी हा भोळा ढाळा, बांनै झूठी स्टोरी…
Continue Readingपातल और पीथळ (नई कविता)
पातल और पीथळ (नई कविता) (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) अरे रबड़-स्टाम्प रो पद ही जद, अदनो सो कोविंद ले भाग्यो। भीतर सूं हिवड़ो ऊजळ पड़्यो, लौहपुरुष रो दुःख जाग्यो॥ ‘मैं खस्यो घणो, मैं घस्यो घणो, पार्टी नै ऊंची ल्यावण नै। मैं पुरो जोर लगायो हो, 2 स्यू 200 पूँचावण मैं॥ मैं…
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राणी पदमणी (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) पतिव्रता ही पदमणी, देवी दुर्गा रूप। बर पायो बीरांगना, रावळ रतनसिंग भूप॥ खिलजी ख्याति सुण लई, रीझयो पदमण रुप। कड़ो कोट रै नाखियो, गढ़ चित्तौड़ा चोकूंट॥ सन्देसै सरतां लिखी, ‘दरपण देओ दिखाय। निरखुं राणी रुप नै, लश्कर लेऊं उठाय॥’ दर्पण देखी पदमणी, तन छाई मुर्छान।…
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