ब्रज देशा, चन्दन वना, मेरु पहाडा ‘मोड़’ !
गरुड़ खगां, लंका गढां, राजकुलां राठौड़ !!

राजकुलां राठौड़
ब्रज देशा, चन्दन वना, मेरु पहाडा मोड़ !
गरुड़ खगां, लंका गढां, राजकुलां राठौड़ !!
 
बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़ !
हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़ !!
  
हरवळ भालां हाँकिया, पिसण फिफ्फरा फौड़।
विडद जिणारौ वरणियौ, रण बंका राठौड़ ॥
  
किरची किरची किरकिया, ठौड़ ठौड़ रण ठौड़।
मरुकण बण चावळ मरद, रण रचिया राठौड़ ॥
  
पतसाहाँ दळ पाधरा, मुरधर धर का मौड़।
फणधर जेम फुंकारिया, रण बंका राठौड़ ॥
  
सिर झड़ियां जुडिया समर, धूमै रण चढ़ घौड़।
जोधा कमधज जाणिया, रण बंका राठौड़ ॥
  
सातां पुरखाँ री सदा, ठावी रहै न ठौड़।
साहाँ रा मन संकिया, रण संकै राठौड़ ॥
  
हाको सुण हरखावणो, आरण आप अरौड़।
रण परवाड़ा रावळा, रण बंका राठौड़ ॥
………..
दोहावलियाँ
बिना शीश शत गज हने, ‘रतनध्वज’ रण रोड़ !
ता ते बाजे ‘कमद पति’, इति आदि राठौड़ !!
(कमद=धड़, कमदपति=कमधज)
बारह सो के बानवे पाली कियो प्रवेश।
‘सीहा’ कनवज छोड़ न आया मुरधर देश।।
सेतराम सम्राट के, पुत्र अस्ट महावीर ।
जिसमे ‘सिहों’ जेस्ठ सूत, महारथी रणधीर।।
काछ दृढ़ा कर बरसणा, मन चंगा मुख मिट्ठ।
रण सूरा जग वल्लभा, सो रजपूतां दिट्ठ ।
दुर्गादास राठौर पर रचित कवित्त
सुवर्ण थाला, जीमे भूप अनेक
दुर्गो भाला उपरा, खाई बाटी सेक
राजवंश ने राखियो श्याम धर्म मरुदेश
बदला में राख्यो नहीं, दो ग़ज धर दुर्गेश
मिटिओ कलंक अजीत रो, गज लायो दुर्गेश
दुर्गाबाबो खुश हुयो, आकर मरुधर देश
दुर्गा आसकरण रो, अस चढ़ियो दिन-रात
क्षिप्रा तट थे दागिओ , दगन मिली न हाट
एक दिन औरंग यूँ कहियो, बालो थांन्ने काईन विशेष ,
मुंह मांगे जिनका मिले, मुंह सूं मांग तू दुर्गेश.
“जननी जणे तो एड़ा जण, जेड़ा दुर्गादास !
मार मंडासो राखियो, बिन खंम्बे आकास !!”
आठ पहर चौबीस घडी, घुड़ले ऊपर वास
सैल अणि स्यूं सैकतो, बाटी दुर्गादास
पीथळ और पातळ

पीथळ

पातल जो पतसाह, बोलै मुख हूंतां बयण ।
मिहर पछम दिस मांह, ऊगे कासप राव उत॥1 ॥
पटकूं मूंछां पाण, के पटकूं निज तन करद।
दीजे लिख दीवाण, इण दो महली बात इक’॥2 ॥

 

पातळ

तुर्क कहासी मुखपती, इणू तन सूं इकलिंग।
ऊगै जांही ऊगसी, प्राची बीच पतंग॥1 ॥
खुसी हूंत पीथल कमध, पटको मूंछां पाण।
पछटण है जेतै पतौ, कलमाँ सिर केवाण ॥2 ॥
सांग मूंड सहसी सको, समजस जहर सवाद।
भड़ पीथल जीतो भलां बैण तुरक सुं वाद ॥3 ॥

 

 

 


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चंगोई गढ़

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