कुंडलियां गणेश वंदना “””””” वक्रतुण्ड महाकाय त्वम, कोटिक सूर्य समान ! निर्विध्नं मम काज करो, हे गणेश भगवान !! हे गणेश भगवान, लम्बोदर एक़दन्ता ! मूषक के असवार, अहंतासुर के हन्ता !! नमित श्याम कर जोड़, गणपति विनायक, गजमुँड ! कृपा करो गणराज, हे धुम्रकेतु वक्रतुण्ड !! ,✍️ घनश्यामसिंह राजवी…
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श्रद्धांजलि
*श्रद्धांजलि नमन* (शहीद रविन्द्रसिंह राठौड़ धोलिया) धन्य है वो पिता माएं, जिनने सत्पुत्र जाए ! दिए अच्छे हैं संस्कार, परिवार वो धन्य है !! धन्य हैं वो गुरूजन, देश भक्ति गढ़ी मन ! सद्शिक्षा संचार किया, पाठशाला धन्य है !! धन्य हैं वो भामिनि, इनकी बनी अर्धांगिनी ! सुहाग जो…
Continue Readingशुभकामनाएँ
दीपावली की बधाई धन तेरस पर धन की वर्षा हो आपके घर पे ! रूपचौदस रूप की देवी दिल खोलकर बरसे ! दीपोत्सव पे हो उजियारा खुशियों का चहुंओर! गोवर्धन धारी का आशीर्वाद मिले घनघोर ! भाई दूज बढ़ाये घर-घर भाई बहन का प्यार ! बधाई घनश्याम की शुभ दीपावली…
Continue Readingदिवाली रोज़ होती है
*दिवाली रोज़ होती है* (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) जीवन सुख से बसर हो, दिवाली रोज होती है ! प्रभु का हाथ सिर पर हो, दिवाली रोज होती है !! पिता का साया हो सर पे, दिवाली रोज होती है, मां के हाथ खाना हो घर पे, दिवाली रोज होती है !…
Continue Readingस्कूल की यादें
*स्कूल की यादें* (By घनश्यामसिंह चंगोई) वो दिन अब याद आते हैं, वो लम्हे याद हैं आते ! वे साथी याद आते हैं, वे गुरु जन याद हैं आते !! उम्र थी मात्र 12 की जब इस स्कूल में आया ! तिहत्तर की जुलाई में एडमिशन नवीं में पाया !…
Continue Readingबेटियों की कुर्बानी
बेटियों की कुर्बानी (तर्ज- ऐ मेरे वतन के लोगो) (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) ऐ क्षत्री समाज के लोगो …. तुम खूब उमेठो मूंछें, बेटों की लगा कर बोली… कैसे तुम सबसे ऊंचे ! बेटी की आंख में आंसू …. जब आए धरती रोए, हर आह हमें कहती है …. कैसे…
Continue Readingस्वागत नववर्ष
*स्वागत नववर्ष* (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) बीत गया अब वर्ष पुराना, आया है नव वर्ष सुहाना ! छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !! थी जिनमे कटुता सब भूलें, बीते वर्ष की बीती बातें, याद रहे बस धवल चांदनी, भूल जाएं सब काली रातें! भूल घृणा को आज…
Continue Readingहम हैं राही सत्ता के
हम हैं राही सत्ता के (तर्ज- हम हैं राही प्यार के, हमसे कुछ ना बोलिए जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए) (By घनश्यामसिंह चंगोई) हम हैं राही सत्ता के, हमसे कुछ न बोलिए, जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए ! हम उसी के…
Continue Readingराठौड़ वंश
लक्ष्मी
लक्ष्मी (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) मां, बहिन, बेटी, बहू, पत्नी लक्ष्मी सब हैं घर पर, मृग की कस्तूरी ज्यों मानव खोज रहा धन बाहर !! जीवित लक्ष्मी का मान नहीं लक्ष्मी की फोटो पूजरहा, भाग-2 धन किया इकट्ठा पर सुख खातिर जूझ रहा ! जन्मदायिनी माता की नहीं करता पूछ…
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