स्कूल की यादें

*स्कूल की यादें*

(By घनश्यामसिंह चंगोई)

वो दिन अब याद आते हैं, वो लम्हे याद हैं आते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरु जन याद हैं आते !!

उम्र थी मात्र 12 की  जब इस स्कूल में आया !
तिहत्तर की जुलाई में एडमिशन नवीं में पाया !
रहना पड़ा शहर में, गांव सिर्फ सन्डे को जाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

नवीं कक्षा से होती तब, शुरु कॉमर्स की शिक्षा !
लगती थी नार्थ ब्लॉक में, हमारी नवीं की कक्षा !
डिसिप्लिन वाले हैडमास्टर लाटाजी यादहैं आते!
वे साथी याद आते हैं,  वे गुरुजन याद हैं आते !!

क्लास टीचर एम ए खान पढ़ाते थे अकाउंटिंग !
बड़े ही स्मार्ट टीचर थे  सिखाते वे ही टाइपिंग !
परिश्रमी सोहनसिंहजी व्यापारपद्धति थे पढ़ाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

हमें हिंदी पढ़ाने के लिए गुरुदयाल जी जूझे !
गणित-विज्ञान के टीचर एम ए खान थे दूजे !
सिलाई वाले पोकर जी की हैं याद सब बातें !
वे साथी याद आते हैं वे गुरुजन याद हैं आते !!

संस्कृत के कन्हैयाजी से लाइब्रेरी बुक लेते थे !
अंग्रेजी के बुजुर्ग मोहम्मद अली उपदेश देते थे!
पीटीआई बाघसिंह जी थे पीटी परेड करवाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

श्री कात्यायनी दत्त जी  शिक्षक थे बड़े विद्वान !
श्री डालूराम जी का सब करते थे बड़ा सम्मान !
बुजुर्ग छोटूदान-शिवबख्शजी भी मान थे पाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

इंग्लिश के जरनैलसिंह को गुस्सा बहुत आता!
विद्वान मोती लाल जी संगीत के बड़े  ज्ञाता !
शिक्षक अंग्रेजी के अच्छे बुद्धमलजी थे कहाते!
वे साथी याद आते हैं वे गुरुजन याद हैं आते !!

अगले साल नवीं पास कर दसवीं में जो आये !
भाटी पीरबख्श जी ने सबसे  ठहाके लगवाए !
नए हेड मास्टर केदार शर्मा जी अंग्रेजी पढ़ाते !
वे साथी याद आते हैं वे गुरुजन याद हैं आते !!

गणपत जी सदा रखते पीने के पानी का ध्यान !
साफ-सफाई का विलास जी रखते पूरा ध्यान !
बुजुर्ग बालूराम जी कालांश की घण्टी बजाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

आधी छुट्टी में कुछ साथी अपने घर चले जाते !
कुछ बैठ कर कोठी के आगे छाया में बतियाते !
एक बुजुर्ग थे घर की बनी आइसक्रीम खिलाते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

प्रहलाद सिंह जी थे मेरे साथी बेंचमेट – रूममेट !
ओमजी गुसाईं किशन खाती चाचाण विजेंद्रसेठ!
कंदोई अंजनी सुभाष, सरावगी सुरेश की बातें !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

शर्मा श्याम सुंदर, पदमसिंह बिरमेचा व सुराना !
सैनी ओम, हनुमान, बृजलाल व सुबोध चोरडिय़ा!
स्वामी विनोद, हनुमान याद है नेमीचन्द की बातें !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

बावलिया चंद्रशेखर और शिवरतन भी साथ थे !
शंकरलाल बाबूलाल एक ओमप्रकाश जाट थे !
मेरे अग्रज सुरेंद्रसिंह जी गौरीशंकर संग आते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरुजन याद हैं आते !!

गोयल राजू और गोविंद, रतन थे धीरवासिया !
मैं कुछ के भूल रहा नाम बोथरा और लूणिया !
कुछ के चेहरे याद हैं पर नाम याद नहीं आते !
वे साथी याद आते हैं वे गुरुजन याद हैं आते !!

छिहत्तर में छूटा स्कूल किया ग्यारहवीं जो पास!
इस स्कूल ने जगाई आगे फिर कॉलेज की आस!
साथी छूटे सब, *घनश्याम*  छूटी पीछे वह बातें !
वे साथी याद आते हैं वे गुरुजन याद हैं आते !!

वो दिन अब याद आते हैं, वो लम्हे याद हैं आते !
वे साथी याद आते हैं, वे गुरु जन याद हैं आते !!

*घनश्यामसिंह राजवी चंगोई*


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