हम हैं राही सत्ता के
(तर्ज- हम हैं राही प्यार के, हमसे कुछ ना बोलिए
जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए)
(By घनश्यामसिंह चंगोई)
हम हैं राही सत्ता के, हमसे कुछ न बोलिए,
जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए !
हम उसी के हो लिए,
जिसने कुर्सी ऑफर की हम उसी के हो लिए !!
वो थे जब सत्ता मे तब, उस का लिया मजा,
अब सत्ता से बाहर रहना, सबसे बड़ी सजा,
इनकी सत्ता आई तो हम, इनके साथ हो लिए !
जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए !!
हम उसी के हो लिए !!
बेइज्जती कुबूल हमें, जिल्लत हमें कुबूल,
न कोई यहां कायदा है, ना कोई यहां उसूल,
जहां दिखा माल मत्ता, हमने हाथ धो लिए !
जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए !!
हम उसी के हो लिए !!
जनता तो है भोली यहां, चाहो जिधर मोड़ लो,
वोट खातिर जाति धर्म, कोई रिश्ता जोड़ लो,
कुर्सी पा, पैसा कमा कर , सारे पाप धो लिए,
जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए !!
हम उसी के हो लिए !!
हम हैं राही सत्ता के, हमसे कुछ न बोलिए,
जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए !
हम उसी के हो लिए,
जिसने कुर्सी ऑफर की हम उसी के हो लिए !!
✍️ *घनश्यामसिंह राजवी चंगोई*