स्वागत नववर्ष

*स्वागत नववर्ष*

(घनश्यामसिंह राजवी चंगोई)

बीत गया अब वर्ष पुराना, आया है नव वर्ष सुहाना !
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

थी जिनमे कटुता सब भूलें, बीते वर्ष की बीती बातें,
याद रहे बस धवल चांदनी, भूल जाएं सब काली रातें!
भूल घृणा को आज बुनें हम, नवसौहार्द्र का ताना-बाना,
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

जाति धर्म और भाषाओं की, नहीं पनपनें दें दीवारें,
क्षेत्रवाद व नस्लभेद तज, हर वैचारिकता को स्वीकारें!
सम्मान करें सबके भावों का, राष्ट्र धर्म का गाएं गाना,
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

वसुधैव कुटुम्बकम् की यहां, पुरखों ने थी रीत चलाई,
जीव मात्र पर दया करो, यह हमको थी सीख सिखाई!
मानव-मानव में भेद नहीं, दुनिया को है हमें सिखाना,
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

भाग्यवाद के न रहें भरोसे, अंधविश्वास की बेड़ी तोड़ें,
विश्वगुरु फिर देश बने ये, नव विज्ञान से नाता जोड़ें !
घनश्याम कहे है कर्मवाद तो गीता का उपदेश पुराना,
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

बीत गया अब वर्ष पुराना, आया है नव वर्ष सुहाना !
छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !!

सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं 🙏

*घनश्यामसिंह राजवी चंगोई*


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चंगोई गढ़

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