फूट बिकै बेभाव भायला
(By- घनश्यामसिंह चंगोई)
मत ना खावै भाव भायला,
थोड़ो नैड़ो आव भायला !
पैली बात समझ तूं म्हारी,
पछ खाजे तूं ताव भायला !!
पूरी बातां सुणले म्हारी,
पछ चाहे तूं जाव भायला !
भाई-भाई रळमिळ रैणो,
क्यां रो है अळगाव भायला !!
रीस – रोस नै दूर फैंक दे,
राजी हो बतळाय भायला !
घर री बात सलट ले घर मैं,
दूजां मती सुणाय भायला !!
लोग सुणैला तो हांसैला,
मत बर्तण खड़काय भायला !
पाड़ौसी तो मौको ताकै,
देसी घणा लड़ाय भायला !!
कोर्ट-कचेड़याँ जावोला तो,
बै देसी लटकाय भायला !
आपसरी मैं धोखो करस्यो,
ऊपर होसी न्याय भायला !!
‘घनश्याम’ कैवै झूठ कोनी,
आ’ है सांची-साव भायला !
भाई – भाई राजी रैणो ,
फूट बिकै बे-भाव भायला !!
✍️ घनश्यामसिंह राजवी, चंगोई
(14 जनवरी 2018)