पैली जबरी होळी होंती

पैली जबरी होळी होंती

पैली जबरी होळी होंती
प्रेम प्रीत भी बोळी होंती,
छोटा बडा टाबर बूढ़ा
सगळां संग ठिठोळी होंती !

कोई दोरप नयीं मानतो
इसी पैली होळी होंती,
डंफ धमाळ, हंसी मजाकां
हुड़दंग्या गी टोळी होंती !

एकर हुयो इस्यो फताळ
दादो चाल्यो सुणन धमाळ,
छोरां करी मनवार चिलम गी
दादो फेर करै क्यूं टाळ !

लम्बी सुट्ट लगाई दादो
छोरा बोल्या काड दियो कादो,
दो सुट्टा मं चिलम बाळ गे
घर नै बीर हूयग्यो दादो !

घर जागे फैताळ मचायो
घरगां गै कीं समझ नीं आयो,
घर मं बड़तां दिख्यो बाछो
दादो डरतो भाज्यो पाछो !

बोल्यो सांड मारणो हूग्यो
घर गो कियां बारणो भूंग्यो,
हाथ जोड़ बहू नै बोल्यो
माताजी थे फळसो खोलो !

बहू तो पड़गी चक्करां मं
तुरत दौड़ गई छप्परा मं,
दादी नै सा बात बताई
सुण गे दादी बारै आयी !

बारै आगे दादी देखी
दादो बड़ग्यो खोल गे ताख़ी,
दादी बोली होग्यो कांई
बोल्यो लार पड़ी एक माखी !

सब घर कां कै हुगी चिंत्या
पाड़ोसी भी चढग्या भिंत्या,
चाण चकै के हुगी बात
दादी गै तो मिलगी रात !

कोई बोल्यो बैद बुलाओ
पागल हुग्यो देवो दवायां,
कोई बतावै स्याणा भोपा
बड़गी दीसै ओपरी छायां !

खड्या गळी मं छोरा हँसै
गांजो आपगो असर दिखायो,
कै घनश्याम त्युंवार होळी रो
दादै गै तो चोखो आयो !!

By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई
(7 मार्च 2020)


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