कुंडलियां

कुंडलियां

गणेश वंदना
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वक्रतुण्ड महाकाय त्वम, कोटिक सूर्य समान !
निर्विध्नं मम काज करो, हे गणेश भगवान !!
हे गणेश भगवान, लम्बोदर एक़दन्ता !
मूषक के असवार, अहंतासुर के हन्ता !!
नमित श्याम कर जोड़, गणपति विनायक, गजमुँड !
कृपा करो गणराज, हे धुम्रकेतु वक्रतुण्ड !!

,✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई
(13 Jan 2018)

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सरस्वती वंदना

अभिनन्दन मां शारदे, धरूं तिहारो ध्यान !
किरपा मो पर कीजिये, दे हिरदै मैं ज्ञान !
दे हिरदै मैं ज्ञान, मात शरण मोय लीजे !
कलम उठे हित देश, मां मोय वर ये दीजे !
नमित श्याम कर जोड़, मात की आया शरणन !
बसन्तपंचमी पर्व, पर आप का अभिनन्दन !!

✍️ घनश्यामसिंह राजवी, चंगोई
(22 जनवरी 2018-बसन्तपंचमी)

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करणी वन्दना

शक्ति  रूपेण  संस्थिता , सर्वभूतेषु  मात !
कृपा अपणी राखज्यो,मुझ पर करणी मात !!
मुझ पर करणी मात, बात तुम सुणजो मोरी !
सब उपाय कर हार, शरण मैं आयो  तोरी !!
नमित ‘श्याम’ कर जोड़,करूं नित तोहरी भक्ति!
कर  कष्टन को दूर , वर मोहे दीजे शक्ति  !!

✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई
(13 Jan 2018)

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राधा कृष्ण

श्याम चरावत मधुवन में, ग्वाल बाल सँग धेन!
यमुना तट पर लरि गए, राधाजु संग नैन !!
राधाजु संग नैन, चैन फिर छीन्यो सारो!
ग्वालन सौं अरदास, करत कान्हो बेचारो !!
‘इक बर मोहि दिखाय, दे राधाजू को धाम !
माखन तोय खिलाय दूं’ करै चिरौरी ‘श्याम’ !!

✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई
(13 Jan 2018)

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शिव वन्दना

शिव शंकर कैलाशपति, शंभू डमरुधारी !
महादेव परमेश्वर, हे भोले भंडारी !!
हे भोले भंडारी, कृपा भक्त पर कीजे !
आया तेरे द्वार, शरण में मोहे लीजे !!
त्वं नमन करे घनश्याम, पशुपति हे गंगाधर !
काशीपति भोलेनाथ, जटाधर शिव शंकर !!

✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई
(13 फरवरी 2018- शिवरात्रि)

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सुख सुविधा 

सुख-सुविधा की चाह में भटक रहा है जन,
उल्टे – सीधे रस्तों से खूब कमा रहा धन !
खूब कमा रहा धन सुविधाएं खूब जुटाता,
लेकिन सुख तो दिन-2, उल्टे घटता जाता !
घनश्याम‘ समझ लें बात नहीं है दुविधा की,
होती है छत्तीस की राशि सुख-सुविधा की !!
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सत्ता शक्ति जब-जब भी, निपट निरंकुश होय !
तब-तब  उसके  सामने, बोल  सके  ना  कोय !
बोल सके ना कोय,होय जाते जब जन भयभीत!
तब उठती है कलम, रही यह  अति पुरानी रीत !
‘जाग  गई  जो  जनता, कट  सकता  है  पत्ता’ !
ये सोच दबाती ‘श्याम‘, कलम को कायर सत्ता !!
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*सरपंच चुनाव*

म्हीनों करड़ो माह गो पाळो पड़ै अथोग !
सरपंचां चुनाव मं पड़ग्यो घणो भिजोग !!
पड़ग्यो घणो भिजोग, तारीखां टळगी आगै !
कैंडिडेटां  गै  पाळो  चढग्यो  सुणतां  सागै !!
कोजी करी गैलोत ओ बदळो क्यांगो लीन्यो !
सरपंचां गै घनश्याम है करड़ो मळ गो म्हीनों !!

चाय पकोड़ा चल रया र भरी जलेबी रस !
बोटर गो माहौल बणावै ल्यावै भर-2 बस !!
ल्यावै भर – भर बस दारू गो ठाठ लागर्यो !
पण जितरै एक मनावै दूजो रूस भागर्यो !!
बोटर अब घनश्याम घालै है कोजा फोड़ा !
फिर-2 खावै सब भंडारा म चाय पकोड़ा !!
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टिड्डे

खा रहे सत्तर साल से , टिड्डे अपना देश !
श्वेत-बसंती-हरा कभी, बदल-2 कर भेष !
बदल-2 कर भेष, देश को खा गए सारा !
कोयला वन ताबूत,कभी पशुओं का चारा !
सेना की खा दाल, फिर भी नहीं अघा रहे !
टिड्डी का तो शोर , माल ये टिड्डे खा रहे !!

✍️ घनश्यामसिंह चंगोई

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*नौतपै री कुण्डलिया*

रोहणी म सूरज बड़्यो, नौतप आयो खास,
लूवां  चाली  जोर  री, पारो चढ्यो पचास!
पारा  चढ्यो पचास, जीव जूणी झुळसायी,
पवन  देव  री  दया, रेत सँग ठंड बरसायी!
देखा  देखी  इंद्र करी, जद किरपा सोवणी,
बरस्यो  मेह  घनश्याम, जद गळी रोहणी !!

1 June 20
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लूवां  लपटा  ले  रयी , तपै  तावड़ो  तेज,
जेठ जायर्यो रामजी, अब तो बिरखा भेज !
अब तो बिरखा भेज, तावड़ा सह्या न जार्या,
मिनख जिनावर पेड़, पंखेरू सै मुर्झारया !
घनश्याम‘ अणुती बळत सुक्यो पाणी कूवां,
दरखत बळै ज्यूं लाय, चालै कोजी लूवां !!

28 may 2020
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कोरोना की कुण्डलिया

मानव ने निज दम्भ में, किया प्रकृति का नाश,
अपने हाथों ही स्वयं,  अपना किया विनाश !
अपना किया विनाश, आज बोले सिर चढ़कर
मकड़ी ज्यूं मर रहा, स्वयं के जाल में फँस कर !
देव वृति  को  छोड़, बन  गया  कैसे  दानव,
ना समझे घनश्याम, अबोध अभी भी मानव !!

संकट  वेला  है  बड़ी, रखदो सिर पर हाथ,
नमन करूँ कर जोड़ हे, देशाणा की मात !
देशाणा  की  मात, आज है  विपदा  भारी,
भयग्रस्त  है  देश, करो  तुम सिंह सवारी !
कोरोना को मिटा, करो तुम पथ निष्कंटक,
अर्ज करे घनश्याम, मिटाओ देश का संकट !!

20 April 2020
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करोना की काट का लॉक डाउन है मंत्र,
पालन करवाने इसे  लगा हुआ सब तंत्र,
लगा हुआ सब तंत्र हमारा हित समझाए,
होय नियंत्रण गर सब अनुशासन अपनाएं,
इकोनॉमि, बिजनस छोड़ो सब रोना धोना,
पड़ा  रहेगा  ठाठ  सभी गर बढ़ा करोना !!

15 april 2020
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मेनू
चंगोई गढ़

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