दामोदरजी घर गिगो जाम्यो*

दामोदरजी घर गिगो जाम्यो दामोदरजी घर गीगो जायो, साबत थाळी फोड़ी! मांजी दूजां घर ठाम मांज-2, हुगी बापड़ी खोड़ी! बापूजी कप धोय – धोय नै, इस्कुल पढण मेल्यो! पण लालो तो भायला संग, गिल्ली डंडों खेल्यो! दसमीं गा पेपर आया सामीं,स्कूल छोड छिटकाई! बापूजी हा भोळा ढाळा, बांनै झूठी स्टोरी…

Continue Reading

पातल और पीथळ (नई कविता)

पातल और पीथळ (नई कविता) (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) अरे रबड़-स्टाम्प रो पद ही जद, अदनो सो कोविंद ले भाग्यो। भीतर सूं हिवड़ो ऊजळ पड़्यो, लौहपुरुष रो दुःख जाग्यो॥ ‘मैं खस्यो घणो, मैं घस्यो घणो, पार्टी नै ऊंची ल्यावण नै। मैं पुरो जोर लगायो हो, 2 स्यू 200 पूँचावण मैं॥ मैं…

Continue Reading

राणी पदमणी

राणी पदमणी (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) पतिव्रता ही पदमणी, देवी दुर्गा रूप। बर पायो बीरांगना, रावळ रतनसिंग भूप॥ खिलजी ख्याति सुण लई, रीझयो पदमण रुप। कड़ो कोट रै नाखियो, गढ़ चित्तौड़ा चोकूंट॥ सन्देसै सरतां लिखी, ‘दरपण देओ दिखाय। निरखुं राणी रुप नै, लश्कर लेऊं उठाय॥’ दर्पण देखी पदमणी, तन छाई मुर्छान।…

Continue Reading

पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी

पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी, बदळ गई जिंदगाणी सारी,रयी न बात पुराणी। बदळ गई जिंदगाणी सारी, रयी न बात पुराणी॥ पैली हाळी कोई बात बाकी न रयी, च्यार बजे उठ झोवंती बै ‘चाकी’ न रयी। आठ…

Continue Reading

फूट बिकै बेभाव भायला

फूट बिकै बेभाव भायला (By- घनश्यामसिंह चंगोई) मत ना खावै भाव भायला, थोड़ो नैड़ो आव भायला ! पैली बात समझ तूं म्हारी, पछ खाजे तूं ताव भायला !! पूरी बातां सुणले म्हारी, पछ चाहे तूं जाव भायला ! भाई-भाई रळमिळ रैणो, क्यां रो है अळगाव भायला !! रीस – रोस…

Continue Reading

स्व. राजाजी बृजलालसिंह जी

स्व. राजाजी बृजलालसिंह जी …. तीसवीं पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ! (स्वर्गवास- सावण सुदी 7, संवत 2044) . * * * * * * गांव चंगोई घणों पुराणों, पण गया पुराणा लोग। नित उठ बां नै नमन करां, बै सगळा आदरजोग॥ बैठ दरवाजै सामनै, हो जेठ चाहे आसोज। आरामकुर्सी-मूढ़ेै ऊपर,…

Continue Reading

धर्म धरा पर घट रयो

धर्म धरा पर घट रयो धर्म धरा पर घट रयो बढ्यो पाप ब्यौहार ! धरती मां कुरळा रयी अब नहीं सह्यो जा भार !! बाबा बण खोटा करै रोज मचावै हंच, भोळी जनता ठग रिया रच नुंवा-नुवां प्रपंच ! धर्मीपण मैं आंधो हुग्यो नहीं समझै संसार, धरती मां कुरळा रयी…

Continue Reading

पैली जबरी होळी होंती

पैली जबरी होळी होंती पैली जबरी होळी होंती प्रेम प्रीत भी बोळी होंती, छोटा बडा टाबर बूढ़ा सगळां संग ठिठोळी होंती ! कोई दोरप नयीं मानतो इसी पैली होळी होंती, डंफ धमाळ, हंसी मजाकां हुड़दंग्या गी टोळी होंती ! एकर हुयो इस्यो फताळ दादो चाल्यो सुणन धमाळ, छोरां करी मनवार…

Continue Reading

सोरठा

सोरठा मां सुरसत रो ध्यान, धरूं हाथ दोऊ जोड़! दे हिरदै मै ग्यान, तव गुण गावै ‘राजवी’ !! नित-2 री नीं आव, मिनख जूण रै मानवी ! ऊपर होसी न्याव, रख धरमीपण ‘राजवी’ !! करले हरि सूं हेत, बीतै जीवण जूण नित! ज्यूं मुट्ठी सूं रेत, छिण-2 छीजै ‘राजवी’ !!…

Continue Reading

श्रद्धांजलि रा सोरठा

🙏 श्रद्धांजलि रा सोरठा 🙏 नमन करुं जगन्नाथ, दीनी मानुष देह मम ! नित उठ जोडूं हाथ, गुण ना भूलूं राजवी !! सिरै बिकाणो नाम, ऊजळ भारत देस मंह ! बसै चंगोई गाम, राजा श्री रघुनाथसीं !! रयो विधाता रीझ, छः बेटा एक धीवड़ी ! मोय जनक ज्यां बीच, पंचमसुत…

Continue Reading

मेनू
चंगोई गढ़

चंगोई गढ़