स्वागत नववर्ष

*स्वागत नववर्ष* (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) बीत गया अब वर्ष पुराना, आया है नव वर्ष सुहाना ! छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !! थी जिनमे कटुता सब भूलें, बीते वर्ष की बीती बातें, याद रहे बस धवल चांदनी, भूल जाएं सब काली रातें! भूल घृणा को आज…

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हम  हैं  राही  सत्ता  के

हम हैं राही सत्ता के (तर्ज- हम हैं राही प्यार के, हमसे कुछ ना बोलिए जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए) (By घनश्यामसिंह चंगोई) हम  हैं  राही  सत्ता  के, हमसे कुछ न बोलिए, जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए ! हम उसी के…

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लक्ष्मी

लक्ष्मी (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) मां, बहिन, बेटी, बहू, पत्नी लक्ष्मी सब हैं घर पर, मृग की कस्तूरी ज्यों मानव खोज रहा धन बाहर !! जीवित लक्ष्मी का मान नहीं लक्ष्मी की फोटो पूजरहा, भाग-2 धन किया इकट्ठा पर सुख खातिर जूझ रहा ! जन्मदायिनी माता की नहीं करता पूछ…

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बेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा

बेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) क्षत्रियकुल का सूर्य जग में फिर चमकना चाहिए, घिस रहा सिक्का पुराना फिर से चलना चाहिए ! बेरोजगारी की बली पर  चढ़  रहा  क्षत्रिय  युवा, अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !! है घट रही खेती की भूमि…

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ग्राम स्वराज

ग्राम स्वराज (घनश्यामसिंह चंगोई) शहरीकरण से भारत बन गया, कंक्रीट का जंगल आज! गांधी का सपना भूले हम, कुटीर उद्योग ग्राम स्वराज !! बैल ऊंट से खेती होती, पूछ बड़ी  थी गौधन  की, आई विदेशी ट्रैक्टर कम्पनी, भूख उन्हें थी बस धन की! भू की उर्वरा यूरिया खा गई, गोबर की जो रही ना खाद,…

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किसान उठ

किसान उठ बाजार जा ! बीज का खाद का पैसा भर ! डीजल का बिजली का पैसा भर ! स्प्रे का थ्रेसर का पैसा भर ! खाली जेब घर आ ! भूखे पेट सो जा !! किसान उठ ! खाली जेब बैंक जा ! हाथ जोड़ गिड़गिड़ा ! डांट सुन…

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महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप (तर्ज- आओ बच्चो तुम्हे दिखाएं झांकी हिदुस्तान की, इस …. वन्दे मातरम-2) (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) आओ बच्चो बात सुनाऊं, त्याग ओर बलिदान की ! हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !! जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !! जय जय राण प्रताप, जय जय…

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बेटियां

मालिक का दिया हुआ, है वरदान बेटियां ! क्यों सह रही हैं फिर, भी अपमान बेटियां !! बताये कोई बेटों से कहां हैं कम, फिर भी ! छटपटाती साबित होने, को इंसान बेटियां !! गर्भ में आते ही भ्रूण, लिंग-जांच हो गई ! हुई डॉक्टर के चाकू से, लहुलुहान बेटियां…

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आदमी-आदमी

लड़ रहा, झगड़ रहा, पकड़ रहा, जकड़ रहा ! बिन बात अकड़ कर रहा, आदमी से आदमी !! मार रहा, काट रहा, फटकार डांट रहा ! आपस मे बांट रहा, आदमी को आदमी !! लूट रहा, कूट रहा, तोड़ रहा, टूट रहा ! रोज कर शूट रहा, आदमी को आदमी…

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एक चंदा नीलगगन में

एक चांद नीलगगन में, इक चांद मेरे आंगन में ! धवल चांदनी मेरे चांद की, छिटक रही जीवन मे !! इक फूल खिला मधुवन में, इक फूल मेरे जीवन में ! भीनी खुशबू मेरे फूल की, महक रही तन-मन मे !! इक कोयल कूके वन में, इक मेरे आंगन में…

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चंगोई गढ़

चंगोई गढ़