दीपावली की बधाई धन तेरस पर धन की वर्षा हो आपके घर पे ! रूपचौदस रूप की देवी दिल खोलकर बरसे ! दीपोत्सव पे हो उजियारा खुशियों का चहुंओर! गोवर्धन धारी का आशीर्वाद मिले घनघोर ! भाई दूज बढ़ाये घर-घर भाई बहन का प्यार ! बधाई घनश्याम की शुभ दीपावली…
Continue ReadingAuthor: rajvigarh
दिवाली रोज़ होती है
*दिवाली रोज़ होती है* (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) जीवन सुख से बसर हो, दिवाली रोज होती है ! प्रभु का हाथ सिर पर हो, दिवाली रोज होती है !! पिता का साया हो सर पे, दिवाली रोज होती है, मां के हाथ खाना हो घर पे, दिवाली रोज होती है !…
Continue Readingस्कूल की यादें
*स्कूल की यादें* (By घनश्यामसिंह चंगोई) वो दिन अब याद आते हैं, वो लम्हे याद हैं आते ! वे साथी याद आते हैं, वे गुरु जन याद हैं आते !! उम्र थी मात्र 12 की जब इस स्कूल में आया ! तिहत्तर की जुलाई में एडमिशन नवीं में पाया !…
Continue Readingबेटियों की कुर्बानी
बेटियों की कुर्बानी (तर्ज- ऐ मेरे वतन के लोगो) (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) ऐ क्षत्री समाज के लोगो …. तुम खूब उमेठो मूंछें, बेटों की लगा कर बोली… कैसे तुम सबसे ऊंचे ! बेटी की आंख में आंसू …. जब आए धरती रोए, हर आह हमें कहती है …. कैसे…
Continue Readingस्वागत नववर्ष
*स्वागत नववर्ष* (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) बीत गया अब वर्ष पुराना, आया है नव वर्ष सुहाना ! छोड़ पुरानी कुंठा गायें, नव प्रभात का नया तराना !! थी जिनमे कटुता सब भूलें, बीते वर्ष की बीती बातें, याद रहे बस धवल चांदनी, भूल जाएं सब काली रातें! भूल घृणा को आज…
Continue Readingहम हैं राही सत्ता के
हम हैं राही सत्ता के (तर्ज- हम हैं राही प्यार के, हमसे कुछ ना बोलिए जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए) (By घनश्यामसिंह चंगोई) हम हैं राही सत्ता के, हमसे कुछ न बोलिए, जिसने कुर्सी ऑफर की, हम उसी के हो लिए ! हम उसी के…
Continue Readingराठौड़ वंश
लक्ष्मी
लक्ष्मी (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) मां, बहिन, बेटी, बहू, पत्नी लक्ष्मी सब हैं घर पर, मृग की कस्तूरी ज्यों मानव खोज रहा धन बाहर !! जीवित लक्ष्मी का मान नहीं लक्ष्मी की फोटो पूजरहा, भाग-2 धन किया इकट्ठा पर सुख खातिर जूझ रहा ! जन्मदायिनी माता की नहीं करता पूछ…
Continue Readingबेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा
बेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) क्षत्रियकुल का सूर्य जग में फिर चमकना चाहिए, घिस रहा सिक्का पुराना फिर से चलना चाहिए ! बेरोजगारी की बली पर चढ़ रहा क्षत्रिय युवा, अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !! है घट रही खेती की भूमि…
Continue Readingग्राम स्वराज
ग्राम स्वराज (घनश्यामसिंह चंगोई) शहरीकरण से भारत बन गया, कंक्रीट का जंगल आज! गांधी का सपना भूले हम, कुटीर उद्योग ग्राम स्वराज !! बैल ऊंट से खेती होती, पूछ बड़ी थी गौधन की, आई विदेशी ट्रैक्टर कम्पनी, भूख उन्हें थी बस धन की! भू की उर्वरा यूरिया खा गई, गोबर की जो रही ना खाद,…
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