आदमी-आदमी (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) लड़ रहा झगड़ रहा, पकड़ रहा जकड़ रहा ! बिन बात अकड़ रहा, आदमी से आदमी !! मार रहा, काट रहा, फटकार डांट रहा ! आपस मे बांट रहा, आदमी को आदमी !! लूट रहा, कूट रहा, तोड़ रहा, टूट रहा ! रोज कर शूट…
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रानी पद्मिनी
रानी पद्मिनी पतिव्रता थी पद्मिनी, देवी दुर्गा रूप। वर पाया वीरांगना, रावल रतनसिंह भूप॥ खिलजी ने ख्याति सुनी, रीझा पद्मिनी रुप। घेरा गढ़ चित्तौड़ को, गर्ज उठे रजपूत॥ “दर्पण में छवि देख लूं” खिलजी का संदेश। “घेरा तोडूं दुर्ग का, जाऊं अपने देश॥” दर्पण देखी पद्मिनी, तन छाई मुर्छान। छल…
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बंदे बेशरम : वन्दे मातरम् (By- घनश्यामसिंह राजवी) भारत देश महान, करे यहां बड़ी-2 सब बात जी ! अंगुली उठाये औरों पर, करे बातें आदर्शवाद की !! बन्दे हैं बेशरम ! वन्दे मातरम् !! चोर यहां के नेता सब, दल अलग-2 बस नाम के ! इक – दूजे को चोर…
Continue Readingकच्छवाहा वंश (शेखावत, नरुका, राजावत आदि)
गांव की सरकार
*गांव की सरकार* “”””””””””””””””””” (By- घनश्यामसिंह चंगोई) युवाशक्ति संकल्प ले, यह मिलकर अबकी बार ! आओ चुन लें गांव की, एक ईमानदार सरकार !! न शिक्षा पर है ध्यान,चिकित्सा पर न नजर है! सबकी पैसे पर नजर, भर रहे अपना घर हैं ! बढ़ रही आगे दुनिया, गांव तो रहे…
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* जिंदगी * (By- घनश्यामसिंह राजवी, चंगोई) मालिक ने हमको दिया, उपहार जिंदगी ! जी लो खुशी के पल हैं ये चार जिंदगी !! गंवा ना देना गफलत, में पल हैं कीमती ! फिर से न मिलेगी ये, बार-बार जिंदगी !! गर्भ में मां के तो थी, अंधेरा कुआं सी…
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घनाक्षरी छंद *जन्माष्टमी* *भादो कृष्ण पक्ष अष्ठ, देवकी प्रसव कष्ट, कंस भय से त्रस्त, वसुदेव घबरात हैं ! कृपा हो जो ईष्ट की, हो पूर्ति अभीष्ट की, आशंका अनिष्ट की, बड़े ही अकुलात हैं ! सहस दीप्त कारागार, हुआ लुप्त अंधकार, भए सुप्त रखवार, सब होश खोय जात हैं !…
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* द्विअक्षरी छन्द * (By – घनश्यामसिंह चंगोई) यह पूरा छंद सिर्फ दो अक्षर ‘क’ व ‘न’ का प्रयोग कर रचित किया गया है ! कनक का कन नीका, ना कन नीका कनक का ! कनक की नोक नीकी, कानन नीका कनक का ! कान में कनक नीका, कूक नीकी किंकिनी…
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कुंडलियां गणेश वंदना “””””” वक्रतुण्ड महाकाय त्वम, कोटिक सूर्य समान ! निर्विध्नं मम काज करो, हे गणेश भगवान !! हे गणेश भगवान, लम्बोदर एक़दन्ता ! मूषक के असवार, अहंतासुर के हन्ता !! नमित श्याम कर जोड़, गणपति विनायक, गजमुँड ! कृपा करो गणराज, हे धुम्रकेतु वक्रतुण्ड !! ,✍️ घनश्यामसिंह राजवी…
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*श्रद्धांजलि नमन* (शहीद रविन्द्रसिंह राठौड़ धोलिया) धन्य है वो पिता माएं, जिनने सत्पुत्र जाए ! दिए अच्छे हैं संस्कार, परिवार वो धन्य है !! धन्य हैं वो गुरूजन, देश भक्ति गढ़ी मन ! सद्शिक्षा संचार किया, पाठशाला धन्य है !! धन्य हैं वो भामिनि, इनकी बनी अर्धांगिनी ! सुहाग जो…
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