फूट बिकै बेभाव भायला (By- घनश्यामसिंह चंगोई) मत ना खावै भाव भायला, थोड़ो नैड़ो आव भायला ! पैली बात समझ तूं म्हारी, पछ खाजे तूं ताव भायला !! पूरी बातां सुणले म्हारी, पछ चाहे तूं जाव भायला ! भाई-भाई रळमिळ रैणो, क्यां रो है अळगाव भायला !! रीस – रोस…
Continue ReadingAuthor: rajvigarh
स्व. राजाजी बृजलालसिंह जी
स्व. राजाजी बृजलालसिंह जी …. तीसवीं पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ! (स्वर्गवास- सावण सुदी 7, संवत 2044) . * * * * * * गांव चंगोई घणों पुराणों, पण गया पुराणा लोग। नित उठ बां नै नमन करां, बै सगळा आदरजोग॥ बैठ दरवाजै सामनै, हो जेठ चाहे आसोज। आरामकुर्सी-मूढ़ेै ऊपर,…
Continue Readingधर्म धरा पर घट रयो
धर्म धरा पर घट रयो धर्म धरा पर घट रयो बढ्यो पाप ब्यौहार ! धरती मां कुरळा रयी अब नहीं सह्यो जा भार !! बाबा बण खोटा करै रोज मचावै हंच, भोळी जनता ठग रिया रच नुंवा-नुवां प्रपंच ! धर्मीपण मैं आंधो हुग्यो नहीं समझै संसार, धरती मां कुरळा रयी…
Continue Readingपैली जबरी होळी होंती
पैली जबरी होळी होंती पैली जबरी होळी होंती प्रेम प्रीत भी बोळी होंती, छोटा बडा टाबर बूढ़ा सगळां संग ठिठोळी होंती ! कोई दोरप नयीं मानतो इसी पैली होळी होंती, डंफ धमाळ, हंसी मजाकां हुड़दंग्या गी टोळी होंती ! एकर हुयो इस्यो फताळ दादो चाल्यो सुणन धमाळ, छोरां करी मनवार…
Continue Readingसोरठा
सोरठा मां सुरसत रो ध्यान, धरूं हाथ दोऊ जोड़! दे हिरदै मै ग्यान, तव गुण गावै ‘राजवी’ !! नित-2 री नीं आव, मिनख जूण रै मानवी ! ऊपर होसी न्याव, रख धरमीपण ‘राजवी’ !! करले हरि सूं हेत, बीतै जीवण जूण नित! ज्यूं मुट्ठी सूं रेत, छिण-2 छीजै ‘राजवी’ !!…
Continue Readingश्रद्धांजलि रा सोरठा
🙏 श्रद्धांजलि रा सोरठा 🙏 नमन करुं जगन्नाथ, दीनी मानुष देह मम ! नित उठ जोडूं हाथ, गुण ना भूलूं राजवी !! सिरै बिकाणो नाम, ऊजळ भारत देस मंह ! बसै चंगोई गाम, राजा श्री रघुनाथसीं !! रयो विधाता रीझ, छः बेटा एक धीवड़ी ! मोय जनक ज्यां बीच, पंचमसुत…
Continue Readingगांव की पीड़ा
गांव की पीड़ा (By- घनश्यामसिंह चंगोई) चले शहर तुम पैसे खातिर, छोड़ आसरा मेरा! जन्मे पले क ख ग सीखा, गांव वही मैं तेरा !! शहर की चाह में तुझको दीखा, यहां भूख का साया ! चाह अमीरी की में मुझ को, असभ्य गंवार बताया ! अशिक्षित कह मेरे बच्चे,…
Continue Readingईश्वर अल्लाह तेरे घर से दया कहां पर चली गई ?
ईश्वर अल्लाह तेरे घर से दया कहां पर चली गई ? ईश्वर अल्लाह तेरे घर से दया कहां पर चली गई ? दुनिया वालो तुम सबकी हया कहां पर चली गई ? पेट मे बच्चा गोद मे बच्चा सिर बोझ लिए भारत माता, भूखे पेट पांव में छाले बस याद…
Continue Readingमेरे देश की धरती, . . . उगले
मेरे देश की धरती, . . . उगले (By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) मेरे देश की धरती, . . . माल्या उगले, उगले नीरव मोदी, मेरे देश की धरती ! मेरे देश की धरती !! देश की धरती पर हम जब, स्वच्छता अभियान चलातेहैं! बैंकों का कर के साफ कैश ,…
Continue Readingएक चंदा नीलगगन मे
एक चंदा नीलगगन मे (घनश्यामसिंह राजवी, चंगोई) एक चंदा नीलगगन में, एक चांद मेरे आंगन में ! धवल चांदनी मेरे चांद की, छिटक रही जीवन मे !! एक फूल खिला मधुवन में, एक फूल मेरे जीवन में ! भीनी खुशबू मेरे फूल की, महक रही तन-मन मे !! एक कोयल…
Continue Reading