अभिनंदन_हे_अभिनंदन 

🙏अभिनंदन_हे_अभिनंदन 🙏 ”””””’’’’’’’”””’’’’’’’’’’’’’’””””””‘ (By-Ghanshyam Singh Changoi) अभिनंदन हे अभिनंदन, हम करें आपका अभिनंदन !! भारत के माथे के हो मुकुट,तुम इस माटी के हो चंदन! अभिनंदन हे अभिनंदन, हम करें आपका अभिनंदन !! जिस माता ने जाया तुमको,वोभी हिन्द की ‘शोभा’ हैं! मानवता के हित मे उसने, अपने जीवन को सौंपा…

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नारी तू जगजननी है

नारी तू जगजननी है “”’’’’’’’’’’’’’’””’’’”””””””’””‘ सुता भार्या भगिनी है, नारी तू नर की जननी है! हर रूप तेरा वंदनीय है, नारी तू जगजननी है !! सती है, सावित्री, सीता है, गंगा, गायत्री, गीता है ! दुर्गा है, काली, अम्बा है, उर्वशी, मेनका, रंभा है! सरस्वती बन देती विद्यादान,मीरा बन करती…

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बंदे बेशरम : वन्दे मातरम्

बंदे बेशरम : वन्दे मातरम् (By- घनश्यामसिंह राजवी) भारत देश महान, करे यहां बड़ी-2 सब बात जी ! अंगुली उठाये औरों पर, करे बातें आदर्शवाद की !! बन्दे हैं बेशरम ! वन्दे मातरम् !! चोर यहां के नेता सब, दल अलग-2 बस नाम के ! इक – दूजे को चोर…

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द्विअक्षरी छन्द

द्विअक्षरी छन्द कनक का कन नीका, ना कन नीका कनक का ! कनक की नोक नीकी, कानन नीका कनक का ! कान  में  कनक  नीका, कूक नीकी किंकिनी ! कंकन कुनकाना नीका, नैन  नीके  कंक  के ! कीकान के कान नीके, न नाक नीकी कंक  की ! कोकी की कूक…

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राठौड़ वंश – contents

राठौड़ वंश  ब्रज देशां , चंदन वनां , मेरु पहाड़ां मोड़ ! गरुड़ खगां, लंका गढां, राजकुलां राठौड़ ! (जिस प्रकार सभी प्रदेशों में ब्रज प्रदेश, वनों में चंदन वन, पहाड़ों में सुमेरु पर्वत, पक्षियों मे गरुड़ व गढ़ों में लंका गढ़, मोड़ (मुकुट) की तरह है, या सर्वोच्च है ! उसी…

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kachwaha content

कछवाहा वंश कछवाहा वंश अयोध्या राज्य के इक्ष्वाकु वंश की एक शाखा है। अयोध्या राज्य वंश में महान राजा इक्ष्वाकु, दानी हरिशचन्द्र, सगर, पितृ भक्त भागीरथ, गौ भक्त दिलीप, रघु, सम्राट दशरथ, मर्यादा पुरूषोत्तम भगबान रामचंद्र हुए। भगवान श्री रामचन्द्र जी के ज्येष्ठ पुत्र कुश से इस वंश (शाखा) का विस्तार…

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दामोदरजी घर गिगो जाम्यो*

दामोदरजी घर गिगो जाम्यो दामोदरजी घर गीगो जायो, साबत थाळी फोड़ी! मांजी दूजां घर ठाम मांज-2, हुगी बापड़ी खोड़ी! बापूजी कप धोय – धोय नै, इस्कुल पढण मेल्यो! पण लालो तो भायला संग, गिल्ली डंडों खेल्यो! दसमीं गा पेपर आया सामीं,स्कूल छोड छिटकाई! बापूजी हा भोळा ढाळा, बांनै झूठी स्टोरी…

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पातल और पीथळ (नई कविता)

पातल और पीथळ (नई कविता) (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) अरे रबड़-स्टाम्प रो पद ही जद, अदनो सो कोविंद ले भाग्यो। भीतर सूं हिवड़ो ऊजळ पड़्यो, लौहपुरुष रो दुःख जाग्यो॥ ‘मैं खस्यो घणो, मैं घस्यो घणो, पार्टी नै ऊंची ल्यावण नै। मैं पुरो जोर लगायो हो, 2 स्यू 200 पूँचावण मैं॥ मैं…

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राणी पदमणी

राणी पदमणी (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) पतिव्रता ही पदमणी, देवी दुर्गा रूप। बर पायो बीरांगना, रावळ रतनसिंग भूप॥ खिलजी ख्याति सुण लई, रीझयो पदमण रुप। कड़ो कोट रै नाखियो, गढ़ चित्तौड़ा चोकूंट॥ सन्देसै सरतां लिखी, ‘दरपण देओ दिखाय। निरखुं राणी रुप नै, लश्कर लेऊं उठाय॥’ दर्पण देखी पदमणी, तन छाई मुर्छान।…

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पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी

पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी (घनश्यामसिंह राजवी चंगोई) पैली हाळा काम रया नी पैली हाळी बाणी, बदळ गई जिंदगाणी सारी,रयी न बात पुराणी। बदळ गई जिंदगाणी सारी, रयी न बात पुराणी॥ पैली हाळी कोई बात बाकी न रयी, च्यार बजे उठ झोवंती बै ‘चाकी’ न रयी। आठ…

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चंगोई गढ़

चंगोई गढ़