सोरठा

सोरठा

मां सुरसत रो ध्यान, धरूं हाथ दोऊ जोड़!
दे हिरदै मै ग्यान, तव गुण गावै ‘राजवी’ !!

नित-2 री नीं आव, मिनख जूण रै मानवी !
ऊपर होसी न्याव, रख धरमीपण ‘राजवी’ !!

करले हरि सूं हेत, बीतै जीवण जूण नित!
ज्यूं मुट्ठी सूं रेत, छिण-2 छीजै ‘राजवी’ !!

ना समझै अणजाण, ज्यूं बाळक माटी भखै!
पीतळ सोनो जाण, जगत बटोरै ‘राजवी’ !!

माया तेरी नाथ, लख्यो ना लखपत कोय !
कोडी चलै न साथ, भेळी कर भल ‘राजवी’!!

दिन-2 जा री’ बीत, जीवण जूणी रै मिनख !
कर मालक सूं प्रीत, तरज्या सागर ‘राजवी’ !!

कंचन काया देह, माटी मैं मिल ज्यायसी !
कर नारायण नेह, सांचै मन सूं ‘राजवी’ !!

सूरा सिंघ सपूत, छळ करणो जाणै नयीं !
कपटी काग कपूत, पीठ तकै पण ‘राजवी’!!

मिनख पणै री जाण, होंती पैली रै बखत!
पीसो बणी पिछाण, आजकळै तो ‘राजवी’!!

खोटां री है पूछ, सांचां मिनखां पूछ नीं !
निचला चढ़िया ऊंच, बात न जाणै ‘राजवी’!!

दस नम्बरयां री आज, फिरै दुहाई राज मै !
स्याणो सकल समाज, चुप कर बैठ्यो ‘राजवी’!!

सांचा मिंत्तर सुजाण, ओ’ड़ी आडा आंवता !
कळजुग ले ले प्राण, लोभी मिंतर ‘राजवी’!!

धोरां उडती धूळ, रमता गिंडी गेडियो !
आवै याद समूळ, बाळपणो अब ‘राजवी’!!

कुरजां री मनवार, कर कर थाकी गोरड़ी !
तीजां तणो तिंवार, सूको जावै ‘राजवी’ !!

पपीहरै रा बोल, पीव – पीव खारा लगै !
रया काळजो छोल, पीव चितारै ‘राजवी’!!


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चंगोई गढ़

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