महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप

(तर्ज- आओ बच्चो तुम्हे दिखाएं झांकी हिदुस्तान की, इस …. वन्दे मातरम-2)

(घनश्यामसिंह राजवी चंगोई)

आओ बच्चो बात सुनाऊं, त्याग ओर बलिदान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

इस धरती पर भारत भूमि, मुल्क एक महान है !
जिसमें है सिरमौर सभी मैं, अपना राजस्थान ये !!
सूर वीर त्यागी तपसी अरु, दानवीर की खान है !
प्राणो से भी प्यारी इस की, आन-बान अरु शान है !!
मान बढ़ाने को इसका, वीरों ने देदी जान भी !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

‘गुहिल’ नाम एक बालवीर, जो शेरों के संग पला बढ़ा !
राज किया मेवाड़ धरा, गहलोत वंश को जन्म दिया !!
जिस के वंशज बप्पा रावळ, रतनसिंग, हम्मीर हुये !
कीर्ति पुरूष कुम्भा और चूंडा, राणा सांगा वीर हुये !!
अस्सी घाव लगे, बाबर संग, करी लड़ाई मान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

पन्द्रह सो सत्तानवे जब, विक्रम संवत वर्ष हुआ !
जेष्ठ मास की तिथि तृतीया, गुरुवार शुभ लग्न बड़ा !!
सांगा पुत्र उदयसिंह राणा, की पटरानी जयवंता !
कुम्भलगढ़ के नवल किले में, जेष्ठपुत्र को जन्म दिया !!
मेवाड़ी जनता को खुशियां, मानो मिली जहान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

नाम प्यार से ‘कीका’ कहते, बड़ा हुआ ‘प्रताप’ हुआ !
बाल समय से ही प्रजा संग, रहा कुंवर का प्रेम बड़ा !!
पिता की इच्छा पालन की, व लघु भ्रात को राज दिया !
प्रजा सारी हुई एकमत, राजतिलक प्रताप किया !!
लाज रखी राणा ने अक्षुण्ण, मेवाड़ी सम्मान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

दिल्ली में बाबर का पोता, अकबर था जब शाह हुआ !
जीते मुल्क अनेकों उसने, और राज विस्तार किया !!
सब राजाओं महाराजाओ, को जब उसने झुका दिया !
मेवाड़ी धरती पर उसकी, गिद्ध दृष्टि का पात हुआ !!
तब राणा प्रताप ने रोकी, राह विजय अभियान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

अकबर लेकर सैन्य बड़ी, मेवाड़ धरा पर चढ़ आया !
बारम्बार किये हमले पर, राणा को न झुका पाया !!
चितोड़ उदयपुर छूट गए, तब गोगुन्दा को अपनाया !
रसद ओर शस्त्रों की खातिर, धन का संकट मंडराया !!
अपना धन दे लाज रखी, तब भामाशाह ने मान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

अन्न बचा न खाने को तब, घास की रोटी खाई थी !
बाल अमरसिंह से ले भागी, रोटी छीन बिलाई थी !!
राणा का मोह जाग उठा, तब दुख में कलम उठाई थी !
पाती लिख अकबर को इच्छा, सन्धि की जताई थी !!
पर ‘पीथल’ की पाती से, जल उठी ज्योत सम्मान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

हल्दीघाटी युद्ध हुआ, घनघोर रक्त की धार बही !

झाला मान, सूरी हकीम खां, राणा पूंजा लड़े वहीं !!
वीर शक्तिसिंह की भी प्रीति, फिर राणा के संग हुई !
चेतक की स्वामिभक्ति से, सारी दुनिया तब दंग हुई !!
भीलों ने राणा संग लिखदी, गाथा तब बलिदान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

गांव ‘चंगोई’ मे सीखी है, हमने सच्ची सीख यही !
नमन करे ‘घनश्याम’ सदा व, मांगे रब से भीख यही !!
उन वीरों की राह चलें, उनका सच्चा सम्मान यही !
कितने कांटे मग में आये, नहीं मगर वो झुके कभी !!
अकबर भी रो पड़ा, हुई जब मृत्यु उस इंसान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

आओ बच्चो बात सुनाऊं, त्याग ओर बलिदान की !
हिंदवी सूरज शेर बबर, राणा प्रताप महान की !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!
जय जय राण प्रताप, जय जय राण प्रताप !!

✍️ घनश्यामसिंह राजवी चंगोई

(नव संवत्सर 2075 चैत्र शुक्ला प्रतिपदा- अहमदाबाद)


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चंगोई गढ़

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