बेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा

बेरोजगारी की बली चढ़ रहा क्षत्रिय युवा

(By- घनश्यामसिंह राजवी चंगोई)

क्षत्रियकुल का सूर्य जग में फिर चमकना चाहिए,
घिस रहा सिक्का पुराना फिर से चलना चाहिए !
बेरोजगारी की बली पर  चढ़  रहा  क्षत्रिय  युवा,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

है घट रही खेती की भूमि बढ़ रहे परिवार से,
बिक रही ठाकुर की भूमि दहेज की मार से !
कुरीतियों को छोड़ रस्ता अब बदलना चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

भोमिया  भूमि  के  मालिक  भूमिहीन हो रहे,
अपनी ही बेची जमीन बंटाई पे लेकर बो रहे !
खेती अब घाटे का सौदा विकल्प दूजा चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

मिल रही ना नोकरी भी अब उसे सरकार से,
पिछड़ रहा क्षत्रिय युवा आरक्षण की मार से !
बहुत लापरवाह रहे  अब तो संभलना चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

वाणिज्य व्यापार से हम रहते आए दूर हैं,
कुम्हार माली जाट आज हो रहे मशहूर हैं !
दूसरे  समाज से कुछ  सीख  लेनी  चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

स्वरोजगार में वे लोग हाथ का हुनर जो जानते,
हम रजपूती की ऐंठ में उसे छोटा काम मानते !
इस पुरानी भ्रांति से भी अब निकलना चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

सेना में जाना काम क्षत्रिय का रहा मशहूर है,
जाने क्यों हम आज इससे हो रहे अब दूर हैं !
सेनामें रजपुती का डंका फिर से बजना चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

दहेज रोधी  टीम  ने  बीड़ा ये अब उठाया है,
क्षत्रिय युवा के मन मे स्वप्न फिर जगाया है !
सपना युवा का ‘घनश्याम’ साकार होना चाहिए,
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!
अब रोजगार का कोई रस्ता निकलना चाहिए !!

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