घनाक्षरी छंद

घनाक्षरी छंद

*जन्माष्टमी*

*भादो कृष्ण पक्ष अष्ठ, देवकी प्रसव कष्ट,
कंस भय से त्रस्त, वसुदेव घबरात हैं !

कृपा हो जो ईष्ट की, हो पूर्ति अभीष्ट की,
आशंका अनिष्ट की, बड़े ही अकुलात हैं !

सहस दीप्त कारागार, हुआ लुप्त अंधकार,
भए सुप्त रखवार, सब होश खोय जात हैं !

रात्रि आई मध्य याम, तब प्रकट भये श्याम,
बार- बार परनाम, घनश्याम गुन गात है !!

🙏श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएं 🙏

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चुनाव 

जीत जाता जग में जो, दोष सारे धुल जाते,
बिन पानी साबुन हो, जाते सब साफ हैं !

‘हारचंद’ नाम कोई, रखता ना बच्चे का भी,
हारना है बड़ा दोष, उसको नहीं माफ है !

जीतते  ही  ज्ञानी  बन, देते  सब  प्रवचन,
पास कोई जा न पाता, बढ़ जाता ताप है !

हारे के ज्यों गुब्बारे से, हवा है निकल जाती,
घनश्याम ‘हारे  के  तो  हरिनाम’ पास है !!

17 may 2019

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कोरोना 

चीर के धरा का वक्ष, उलीच के नीर रस,
काट सारे वन वृक्ष, धरन बांझ किए हैं !

सारे वृक्षों को उखाड़, किए जंगल उजाड़,
नग्न करके पहाड़, विकास नाम दिए हैं !

रसायन की बौछार, मित्र जीवों पे प्रहार,
भू की उर्वरा को मार, बंजर खेत किए हैं !

घनश्याम की पुकार, ये प्रकृति का प्रहार,
कोरोना कहो या जार, सचेत कर दिए हैं !!

✍️ *घनश्यामसिंह चंगोई*
25 April 2020


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चंगोई गढ़

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